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वरुथिनी एकादशी का क्या है महत्व, किस मंत्र से चमकेगी किस्मत, दूर होंगे संकट

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एकादशी का महत्व (Importance Of Ekadashi)- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हर माह में 2 एकादशी पड़ती हैं और वर्षभर में 24 एकादशियां होती हैं। एकादशी तिथि जगत का पालन करने वाले देवता भगवान श्रीविष्णु की मानी गई है, उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है।

एकादशी व्रत सौभाग्य, लोक-परलोक में सुख, कई वर्षों के तप का फल, एक हजार गोदान, अन्नदान, कन्यादान, गंगा स्नान से मिलने वाले फल, तथा मोक्ष और स्वर्ग देने वाला बताया गया है। अत: एकादशी पर भगवान श्रीहरि का स्मरण करने तथा उनके मंत्रों का जाप करने से जीवन के समस्त संकटों तथा पापों का नाश होकर अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाले हर संकट अपनेआप ही दूर होते हैं। 

 

अगर आप प्रतिदिन मंत्र ना पढ़ सकें तो कम से कम किसी खास अवसर, जैसे एकादशी या बृहस्पतिवार के दिन भगवान श्रीहरि का स्मरण करके उनके मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करने मात्र से मनुष्य की किस्मत से चमकती है। आइए यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं श्रीहरि विष्‍णु के खास मंत्र, जिनका जाप करके धन, ऐश्वर्य, सफलता, समृद्धि तथा जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती हैं- 

 

आइए जानें श्रीहरि नारायण के सरलतम चमत्कारी मंत्र-Lord Vishnu Mantra  

 

1. समस्त संकट हरने वाले सरल मंत्र- 

 

- ॐ हूं विष्णवे नम:। 

- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। 

- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

- ॐ नारायणाय नम:।

- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

 

2. खास मंत्र-
 

- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।। 

 

3. धन-समृद्धि देने वाला मंत्र- 

 

- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। 

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

 

4. धन लाभ प्राप्ति का मंत्र- 

 

- लक्ष्मी विनायक मंत्र- दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। 

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

 

5. विष्णु पंचरूप मंत्र- 

 

- ॐ अं वासुदेवाय नम:

- ॐ आं संकर्षणाय नम:

- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:

- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

- ॐ नारायणाय नम:

 

6. शीघ्र फलदायी मंत्र
 

- ॐ विष्णवे नम:

- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

 

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